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जाने कब कौन जिंदगी का हिस्सा बन जाए :मेरी प्रेम कहानी

My e-Mitra
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मैं  सच्ची कह रहा हूँ मुझे नहीं पता था वो ऐसे मुझे मिलेगी और हमारी दोस्ती इतने दूर तक जायेगी और कभी कभी जब मैं अपने बारे में सोचता हूँ तो सबसे पहले मुझे ख्याल आता है उन फैसलो के बारे में जो मेने अपने से नहीं लिए बस ऐसा था कि जो समझ नहीं आया उसे होना दिया बस और इसमें नया नहीं है कि देर सबेर जब भी आपको लगता है कि आप सही नहीं थे आपको थोडा तो दुःख होना बनता ही है लेकिन नहीं मेरे कोटा जाने को लेकर मुझे जरा भी ये फील नहीं हुआ कभी कि यार ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योकि ऐसा है

मेरी अपनी फिलॉसपी यही है लाइफ जो है वो खोने में ही है और इसी में हमारी गलतियां हमे वो देती है जो हमारे सही फैसले हमे कभी नहीं दे सकते थे क्योकि ऐसा नहीं है कि मेरे लिए मैनेज करना मुश्किल है लेकिन ये सही है कि मुझे प्राथमिकताएं तय करने में थोडा समय लगता है और मैं कह सकता हूँ यही मैं अभी सीख रहा हूँ और जो भी है मैं उस से अभी तो यही लगता है मैं तो संतुष्ट हूँ कम से कम। और मुझे कहने में कोई अजीब नहीं लगता कि मेने कॉलेज लाइफ में भी काफी लड़किओं से रिलेशन रखे है लेकिन मुझे फिर भी कभी ये नहीं लगा कि कोई ऐसी होगी जो मुझे झेल पायेगी और आज भी नहीं लगता सिवाय एक अपवाद के और शायद अब तो जरुरत भी नहीं है और ऐसा इसलिए है जैसा मेने पहले भी कहा कि मुझे प्राथमिकताएं तय करने में समय लगता है और आज भी ऐसा ही है ।

खैर मैं वंहा से शुरुआत करता हूँ जंहा से वो मुझे मिली हाँ मुझे पूरा पूरा याद है वो 28 जून ही रहा होगा  जब मेरी क्लासेज थी शुरू हाँ यही था  और फिर पहला दिन भी जो यह तय करने में लगा कि मेरे साथ वाले दोस्त जो है वो कोनसे कोनसे है यंहा पर हालाँकि मेरे बैच में मुझे कोई नहीं मिला लेकिन साथ वाले बैच में जरुर था जिस से में अपना कुछ शेयर कर सकता था मेरा दोस्त अभिषेक और फिर एंट्री हुई उसकी जो मुझे मेरी ही जेसी लगी ,रीज़न क्या था नहीं पता उसके लिए ही मुझे ऐसा क्यों लगा  नहीं पता लेकिन बस ये पता है कि लगा ऐसा ।

मुझे याद है वो अपना बैग साइड में रखा करती थी और मैं जस्ट उसके पीछे में ही होता था क्योकि ये तो होना ही था जब क्योकि आप अपने पसंद के लिए सबसे पहले यही तो करते है करीब होने की पहली कोशिश और उसके बैग से बुक निकलने और रखने में अकसर उसका हाथ मुझे टच हो जाया करता था उसी से जिस से मैं लिखने कि एक्टिंग करा करता था कि कंही ऐसा न हो वो जान ले  पर मन्नते कुछ और थी । और मैं फिर भी उस से नाम पूछने कि हिम्मत नहीं कर पाया क्योकि ऐसा होता है कि हम नॉर्मली किसी से भी कोई भी बात कर सकते है और नाम पूछना तो बड़ी आसान सी टास्क है लेकिन फिर भी किसी भी बहाने से मैं ऐसा नहीं कर पाया क्योकि जिसके लिए आप कुछ महसूस करते है उसके सामने पहली बार बोलना भी किसी जंग को फतेह करने जैसा ही है सो मेने भी कुछ अजीब सा तरीका चुना उसे  जानने का जो मेरे खुराफात दिमाग के लिए बड़ी आसान सी चीज़ थी  और फाइनली मैं उसके आई कार्ड से उसका नाम देख पाया मेरे मैथ्स के लेक्चर को बलिदान करके जिसमे उसके कार्ड ने भी मेरा साथ दिया जैसा आप जानते है कितना मुश्किल है अपने आगे बैठे किसी बन्दे के कार्ड से उसका नाम देखना लेकिन ये हो गया बस और यही मुझे चाहिए था क्योकि मेरे लिए काफी था इतना बस ।

मुझे याद है मेरा बाकि काम रेजो से चुराए गये डेटा ने कर दिया था जो मेने तीन दिन की मेहनत से हैक किया था और मुझे वो कैफ़े आज भी बड़ा मिस करता हूँ उसे मैं मुझे नाम याद नहीं है फिलहाल लेकिन डायरी खोलने के आलस से मैं बता भी नहीं पाउँगा  और फाइनली मुझे उसका प्रोफाइल भी मिल गया तो हाँ अब मैं शुरुआत कर सकता हूँ तो मेने अपने फ्रेंड से ब्रेक में  ये बात कही और जितना मैं जानता था उसे मेने बताया कि ऐसा है  कि यार मुझे ना ये वाली लड़की बड़ी पसंद है सो तेरे पास कुछ ज्ञान है तो देदे मुझे करना क्या चाहिए उसने बोला यार सिंपल है जाके बोल दे और क्या….मेने बोला यार कहने में सिंपल है ये करदे वो करदे लेकिन ऐसे थोड़े है कि तैयार ही बैठी है कि कोई मुझे आके बोले और मैं हाँ बोलू फिर बोलता है तो ठीक है फिर नहीं है तो मेरी जान मत कहा कैंटीन से जाके कुछ खा भूख लगी है तो  ….सो फिर मुझे ठीक से याद है उन 2 हफ्तो में मेने उस से कई बार ये कही कि एक दिन बोलता है कि यार देख ऐसा है मेरे से तेरी ये “दुखी मन मेरा ” वाली सिचुएशन नहीं देखी जाती और अकेले में उस से बात करने से अगर तू डरता है है तो मैं तेरी हेल्प किये देता हूँ क्लासेज के बाद तेरी PG के आगे से ही जाती है और मैं तेरे साथ चलता हूँ  तो रास्ते में पकड़के बोल दे इसे जो बोलना है हाँ बोले तो ठीक नहीं तो कुछ और देख..  और मुझे याद है और सही में बड़ी हंसी आती है खुद पर लेकिन मैं नहीं कर पाया ये भी …तो फिर हारके बोलता है कि यार देख आज अगर तूने नहीं बोला उसे तो  अपनी दोस्ती खत्म और अगर बोल दिया और वो हाँ बोलती है तो तेरे साथ एक और फ्रेंड ऐड हो जायेगा और फ़र्ज़ कर अगर ना भी बोलती है तो कोनसी बड़ी बात है.. और कोनसा यंहा अपनों ने इज्जत के झंडे गाड़े हुए है जो कचरा हो जायेगा सो  मैं तो हूँ ना शाम में बैठकर साथ में दारु पियेंगे और मैं सम्भाल लूंगा तेरे टूटे दिल को और कोई अच्छी वाली ढूंढ दूंगा तेरे लिए ,,,

सो मुझे याद है वो 22 जुलाई रहा होगा जब मेने उसे के के रेजीडेंसी के आगे से जाते हुए उसे आवाज दी उसके नाम से ही कि रुको और मेने देखा वो वंहा थी मुझे सुनने को और यकीन नहीं हो रहा था मुझे खुद पर ही कि मैं था वंहा पर और मेने उसे कह दिया वो सब जो मुझे कहना था & ज्यादा नहीं लेकिन फिर भी दिन सही गया मेरा जितना वो मुझे जानती थी और वेसा ही उसने मुझे जवाब भी दिया यानि कि मेरी निकल पड़ी थी उतनी जितनी मैं उम्मीद कर रहा था और हाँ ऐसे शुरू हुई हमारी दोस्ती और इसमें बहुत कुछ ऐसा था जो मुझे उस से जोड़े रखने के लिए ही था उसका भोलापन,बच्चो जेसी जिद्दी ,मेरे लिए उसकी फ़िक्र , उसकी नादानियाँ जो वो शक्ल से ही शरारतो का  पैकेट दिखती है वो उसकी प्यारी प्यारी अदाए और एक पल के लिए सारी चिंताए भुला देने वाली उसकी आवाज एंड मुझे याद है हरकते बिलकुल बच्चो जेसी थी उसकी कुछ भी उनसे कम नहीं,वो आज भी ऐसी है जेसी वो मुझे मिली और हमेशा कोई दिन ऐसा नहीं रहा होगा कि मुझसे बात करते करते वो सो न जाये और फिर इसके बाद में और पहले भी उस से जुडी इतनी यादे है जिन्हे शब्दो में बयां करना मुश्किल है ।

मुझे याद है वो आज का ही दिन था यानि के आठ फ़रवरी जब उसकी मम्मा पापा की शादी की सालगिरह थी और मेने उसे IL टाउनशिप में प्रोपोज किया था बड़ी ही ख़ुशी से उसने इसे रखा भी और हाँ कह दी … मेने उसे कहा था कि अभी  तुम मेरे दिल पे हाथ रखके देख सकती हो मेरी हार्टबीट जो है वो ख़ुशी के मारे कुछ असामान्य है इतनी  कि मुझे कितनी ख़ुशी हो रही है जैसा कि कोई पूर्णता का अहसास और उसने जो जवाब दिया उस से समझ सकता था कि वो मुझे कितना जानने लगी है और हाँ उसके ये कहने में कितना अपनापन था कि ” मैं ये महसूस कर सकती हूँ क्योकि मुझे ये सुनाई दे रही है । “

यही तो होता है प्यार में “आप होटों से कहते नहीं कि आपके प्यार के दिल में भी उतर जाती है ” यही समझ है समझने की जो आपको शारीरिक आकर्षण से दूर एक अवधारणा है कि प्रेम वह स्थिति है जब आप जान लेते है कि आपके पास अब कुछ बाकि नहीं रह गया है सिवाय अपने अस्तित्व के जो आप अपने प्रेम में देखते है । और वैसे भी खुशियो के हर किसी के लिए अलग मायने हो सकते है पर फिर भी  यकीन मानिये ऐसा नहीं है कि आप खुशियों के हक़दार नहीं हो सकते बशर्ते आप एक वजह तो बनाईये उसके लिए कुछ डेडिकेशन रखिये मैं कहता हूँ वो आपके लिए होंगी ।

और आज देखो लगता ही नहीं  इसे तीन साल हो गये हम रिलेशन में है ऐसा लगता है जेसे ये कल की सी बात हो और इन तीन सालो में वो सब हुआ जो एक कपल के बीच होना स्वाभाविक है खूब सारी लड़ाईया कुछ बेवजह की नाराजगी और मेरे लिए उसकी स्वाभाविक फ़िक्र से भरी उसकी डांट लगाना और उसका रूठना, मेरा मनाना और यही सब वो है जो जिंदगी के रंग है  और कुछ साथ बिताये वो लम्हे जो भूलाये नहीं भूलते  और इंशा अल्लाह ये जैसा मेने सोचा है वंहा तक जायेगा भी और परिणिति ऐसी ही होगी जेसी कि हमने सोची है और मुझे भी बड़ा बेसब्री से इंतज़ार है कि कब मैं उसे मेरे घर के किचन में मेरे लिए खाना बनाते देखू  और ऐसा नहीं है कि इसे मेने ही बनाया है मेरी प्रेम कहानी में बहुत लोग वो है जिन्होंने इसे बनाया है और जो कुछ वो जो आज भी मेरे साथ है और कुछ नहीं भी लेकिन फिर भी मैं मानू या नहीं लेकिन लेकिन उन्होंने मेरी खुशियो में बहुत कुछ किया है ऐसा ही, जैसा मैं मेरे अच्छे दिनों में याद रखूंगा और कभी न भूलने सकने वाली ऐसी यादे जो मेरे बुरे दौर में भी मेरे चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी है


किसी ने सच ही कहा है


“खूबसूरत सा एक पल कब किस्सा बन जाए

जाने कब कौन जिंदगी का हिस्सा बन जाए”



उनसे नज़रें मिली थीं बस इतना याद है,

छोटी सी वारदात कहाँ से कहाँ ले गई मुझे….


पन्नो से  …

“अक्सर जब भी मैं उदास होता हूँ तो मैं उस से बात करता हूँ और वो कहा करती है क्यों उदास होते हो …तुम्हे पता है ना हम दुखी होकर अपनी ख़ुशी का एक पल कम कर लेते है |”




जारी ……….



Thanks to #Amit ,#Yogesh ,#Ritu,#Deepa,#Kalpana and #Teddy मुझे मेरी लाइफ के कुछ सबसे खूबसूरत पल देने के लिए  …


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